प्री वेडिंग-यानी भारतीय संस्कृति के संपन्न घरेलु परिवारो में पश्चिमी संस्कृति का आगमन-
पिछले 1-2 वर्षो से देश में भारतीय संस्कृति से होने वाले विवाह समारोह में एक नया प्रचलन सामने आया है। जिसको वर्तमान में ऐसे परिवारो द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जो समाज की रीढ़ कहे जाते है, जिनकी समाज में तूती बोलती है या जो समाज के संचालक होते है-उसका नाम है-प्री वेडिंग.
इसके तहत होने वाले दूल्हा- दुल्हन अपने परिवारजनो की सहमति से शादी से पुर्व फ़ोटो ग्राफर के एक समूह के साथ देश के अलग-अलग सैर सपाटो की जगह, बड़ी होटलो, हेरिटेज बिल्डिंगों, समुन्द्री बीच व अन्य ऐसी जगहों पर जहाँ सामान्यतः पति पत्नी शादी के बाद हनीमून मनाने जाते है। जाकर अलग- अलग परिधानों में एक दूसरे की बाहो में समाते हुए वीडियो शूट करवाते है।और फिर ऐसी वीडियो फ़ोटो ग्राफी को शादी के दिन एक बड़ी सी स्क्रीन लगाकर, जहाँ लड़की और लड़के के परिवार से जुड़े तमाम रिश्तेदार मौजूद होंते है उनकी उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से दिखाया जाता। जिन सगे संबंधियो और सामाजिक लोगो को
जीवन साथी बनने के साक्षी होने और आशीर्वाद देने के लिये बुलाया जाता है उन्हें गेट के अंदर घुसते ही जो देखने को मिलता है वह शर्मसार करने वाला होता है। जिस भावी युगल को हम वहा आशीर्वाद देने पहुँचते है वो वहा पहले से ही एक दूसरे की बाहो में झूल रहे होंते है। और सबसे बड़ी बात यह है की यह सब दोनों परिवारो की सहमति से होता है।
यह शुरुआत अभी उन घरानो से हो रही है जो समाज के नेतृत्वकर्ता और समाज को राह दिखाने वाले बड़े बड़े समाजसेवी पैसे वाले है जो समाज सुधार की दिशा में कार्यक्रम करते रहते है। ऐसे परिवार अपने पैसो के बल पर इस प्रकार की गलत प्रवर्तियो को बढ़ावा देकर समाज के छोटे तबके के परिवारो को संकट में डाल रहे है। ऐसी संस्कृति से आगे चलकर समाज का इतना बड़ा नुकसान होंगा जिसकी भरपाई कई पीढ़ियों तक करना संभव नहीं हो सकेंगा। शादी से पूर्व सम्बन्ध टूटना या शादी के बाद तलाक की संख्या में वृद्धि के रूप में होंगी।
जरूर सोचे एवं विचार करे की हम क्या कर रहे है।
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