Wednesday, December 27, 2017

Washing Political Linen across Enemy Domain..

TV Pic Below..

Pakistani media spokes person Ms Mona Alam quoting Naresh Agrawal of SP for justifying Pakistan's conduct & action against Kulbhushan Jadhao..When the ruling party spokesperson clubbed Naresh Agrawal with Manishankar Aiyer (to score a political point over S.P & Congress & not over Pakistan) she quoted our Hon PM over the Pakistan Angle propaganda during Gujarat Elections..Isn't it an irony that we, ourself provide lollypops to our enemies to sharpen attacks on us? Internal politics and war of words/allegations, if reasonable & graceful are ok but washing our linen in enemy domain certainly makes it dirty & somewhat helps them to  belittle our diplomatic & social as well as internal harmony & unity stand in international community.. Politicians & Political Parties have nothing to lose but as a Nation, as Citizens, we do & the loss is unfathomable as in the case of Sarabjit & now Kulbhushan Jadhav apart from the martyrdom of countless soldiers & their families..

Tuesday, December 26, 2017

नव वर्ष....

नव वर्ष नव हर्ष 
कर वंदन.. अभिनंदन!

नव आशा नव अभिलाषा 
कर वंदन.. अभिनंदन!

नव स्मृति नव ज्योती 
कर वंदन.. अभिनंदन!

नव चेतना नव प्रेरणा 
कर वंदन.. अभिनंदन!

नव साधना नव आराधना
कर वंदन.. अभिनंदन!

नव अपने नव सपने 
कर वंदन.. अभिनंदन!

नव आस नव विश्वास 
कर वंदन.. अभिनंदन !


(ये कविता ब्लॉग के लेखक ने लिखी है। इस पर लेखक का पूर्णाधिकार है। बगैर लेखक के अनुमती के कहीं भी प्रकाशित ना करें।) 

The blog writer/compiler is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is Ex President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI",  Member of "Jan Manch",  Holds "Palakatva of NMC", is a Para Legal Volunteer, District Court, Nagpur, RTI Activist, Core Committee Member of Save Bharat Van MovementParyavaran Prerna "Vidarbha", Member of Alert Citizen Group, Nagpur Police, Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court. Twitter@amitgheda.





IPC Sections Compilation for ease to understand

IPC Sections Compilation:

Monday, December 25, 2017

Difference between a Judge & a Magistrate

The word Judge & Magistrate appears to be one & same but there is a difference between the two..

Monday, December 18, 2017

Hail Democracy..Hail the voters of Gujarat

Kudos to the power of democracy. Kudos to the voters of Gujarat. More than the win or loss of any specific party what is important is that it is the victory of the public..Since I am associated with Consumer movement I would like to call it the victory of Consumers/Grahak's.

Such closely contested fights with all the  contesting parties getting jittery & panicky with anxiety till the day of results is must for the democracy to survive. A healthy democracy where all the political parties are on toes all the time with no illusions of being invincible is a blessing for the citizens of any country. Spread of power among multiple groups prevents a dictatorship from forming & helps to ensure that the will of a citizens is enforced rather than the will of a small group of political leaders.

Ditto for the survival of free Press & Media for only a free press has the ability to openly question  and bring to light the issues that are relevant to the public.

Hence more than anything else it is a time to rejoice for the Voters, for the Mai Baap as we are called..No PUN intended!!

(The blog writer is a management professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI", Member of "Jan Manch", Holds "Palakatva of NMC" in Shivaji Nagar area and Is a Para Legal Volunteer, District Court Nagpur.)

Wednesday, December 13, 2017

प्री वेडींग समाज मे एक नयी बीमारी

प्री वेडिंग-यानी भारतीय संस्कृति के संपन्न घरेलु परिवारो में पश्चिमी संस्कृति का आगमन-

पिछले  1-2 वर्षो से देश में भारतीय संस्कृति से होने वाले विवाह समारोह में एक नया प्रचलन सामने आया है। जिसको वर्तमान में ऐसे परिवारो द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जो समाज की रीढ़ कहे जाते है, जिनकी समाज में तूती बोलती है या जो समाज के संचालक होते है-उसका नाम है-प्री वेडिंग.

इसके तहत होने वाले दूल्हा- दुल्हन अपने परिवारजनो की सहमति से शादी से पुर्व फ़ोटो ग्राफर के एक समूह के साथ देश के अलग-अलग सैर सपाटो की जगह, बड़ी होटलो, हेरिटेज बिल्डिंगों, समुन्द्री बीच व अन्य ऐसी जगहों पर जहाँ सामान्यतः पति पत्नी शादी के बाद हनीमून मनाने जाते है। जाकर अलग- अलग परिधानों में एक दूसरे की बाहो में समाते हुए वीडियो शूट करवाते है।और फिर ऐसी वीडियो फ़ोटो ग्राफी को शादी के दिन एक बड़ी सी स्क्रीन लगाकर, जहाँ लड़की और लड़के के परिवार से जुड़े तमाम रिश्तेदार मौजूद होंते है उनकी उपस्थिति में सार्वजनिक रूप से दिखाया जाता। जिन सगे संबंधियो और सामाजिक लोगो को
जीवन साथी बनने के साक्षी होने और आशीर्वाद देने के लिये बुलाया जाता है उन्हें गेट के अंदर घुसते ही जो देखने को मिलता है वह शर्मसार करने वाला होता है। जिस भावी युगल को हम वहा आशीर्वाद देने पहुँचते है वो वहा पहले से ही एक दूसरे की बाहो में झूल रहे होंते है। और सबसे बड़ी बात यह है की यह सब दोनों परिवारो की सहमति से होता है।

यह शुरुआत अभी उन घरानो से हो रही है जो समाज के नेतृत्वकर्ता और समाज को राह दिखाने वाले बड़े बड़े समाजसेवी पैसे वाले है जो समाज सुधार की दिशा में कार्यक्रम करते रहते है। ऐसे परिवार अपने पैसो के बल पर इस प्रकार की गलत प्रवर्तियो को बढ़ावा देकर समाज के छोटे तबके के परिवारो को संकट में डाल रहे है। ऐसी संस्कृति से आगे चलकर समाज का इतना बड़ा नुकसान होंगा जिसकी भरपाई कई पीढ़ियों तक करना संभव नहीं हो सकेंगा। शादी से पूर्व सम्बन्ध टूटना या शादी के बाद तलाक की संख्या में वृद्धि के रूप में होंगी।
   
जरूर सोचे एवं विचार करे की हम क्या कर रहे है।

Saturday, December 9, 2017

राजनी(चता)ति

राजनीति का नित प्रतिदिन जिस "नीचता" से
पतन हो रहा है और स्वघोषित राजनीतिक
आकाओं और भीड़ में "कंकरों" की तरह उनकी
जी हजूरी करने वालों का उदय हो रहा है वहां
साफ गोई, निश्छल, संस्कारी, व्यक्ति विशेष,
जात-पात, रंग भेद आदि आदि द्वेष रहित
राजनीति की कोई गुंजाइश ही नही बची। और
सवाल ये भी है कि ऐसी राजनीति कौन करना
चाहेगा? जिन्हें राजनीति और सत्ता का खून लग
गया है वो तो कतई नही। संत, फ़क़ीर तो अब
हमारी इस दुनिया में आएंगे भी नही। उनकी
बात, उनकी नसीहत यदि समाज का एक घटक
सुनेगा तो दूसरा घटक क्या करेगा, कहेगा ये वो
भी अच्छी तरह जान गए होंगे। अब उम्मीद हमें
सिर्फ खुद हमसे रखनी होगी। हम याने मतदार।
हम सभी की ये आदत है की हम हमेशा जो
समय चल रहा है उसके बहाव मे बहते जाते है।
जबकी हकीकत ये है की हमारा सिर्फ उपयोग
होता है... कहीं कम कहीं ज्यादा ये दूसरी बात
है.. जिम्मेदार भी हम ही है.. समय समय पर
किसी एक को इतना चढ़ा देते है की हमे ही नही
पता होता की हम क्या कर रहें है। नतीजा हम
सालों से अनुभव कर ही रहे है। किसी को भी
उतना ही सर आँखों पे रखो जितना जरूरी हो
और सही हो.. वरना फिर शिकायत करने का
अधिकार हम खुद ही खो देते है। लेकीन क्या ये
हम से हो सकेगा?

किसी ने क्या खूब कहा है-

"मज़हब, दौलत, ज़ात, घराना, सरहद,  , खुद्दारी, 

एक मुहब्बत की चादर को कितने चूहे कुतर गए ll"


"अगर ख़ामोश रहता हूँ तो गै़रत मार डालेगी ।

अगर सच बोल दूँगा तो हुकूमत मार डालेगी ।।

बहुत हुशियार रहना है सभी इंसानो को।

लड़ाकर वरना आपस मे सियासत मार डालेगी ।।"

वाह रे नी(चता)झामी!!

वाह रे निज़ामी!! किस्मत हो तो तेरे जैसी।
जीरो से हीरो बन गए!!इलेक्शन के आपा
धापी में भी, सालों बाद भी, देश के शीर्ष
नेताओं को तुम, तुम्हारा नाम, काम याद है...
और आज गुजरात, विकास, जनता, जनेऊ
सब पर तुम अकेले, निहत्ते भारी हो..निज़ामी
जी आपकी प्रभावी शख्सियत को सलाम..
आपने तो जनेऊ और नीच इन शब्दों के नीचे
से जमीन ही खींच ली!! ये तो आते ही कोमा
में चले गए। अंग्रेज़ी में इसे "STOLE THE THUNDER" केहते है..

'BASICS' : Always the SUPREME yardstick

Unless and until the ' BASICS ' are in the right place, all other things would eventually fall into the category of appeasement. App...