साभार: गांव कनेक्शन।
आज विश्व रक्तदान दिवस है। सभी से रक्तदान करने की गुजारिश की जाती है लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं जो अक्सर या हर तीन महीने में रक्तदान करते हैं।
हालांकि बहुत कम लोग इस रक्तदान दिवस के पीछे की कहानी से रूबरू होंगे। आज हम आपको बताने जा रहे हैं उस व्यक्ति के बारे में जिसने ब्लड ग्रुप्स का पता लगाया था। उनका नाम है कार्ल लैंडस्टीनर, जिनके जन्मदिन के दिन हम विश्व रक्तदान दिवस मनाते हैं।
इससे पहले ब्लड ट्रांसफ्यूजन बिना ग्रुप के जानकारी होता था। हालांकि दुनिया का पहला रक्त आधान 1665 में माना जाता है जिसे इंग्लैंड में फिजिशियन रिचर्ड लोअर ने किया था। रिचर्ड ने दूसरे कुत्तों के रक्त को एक कुत्ते में ट्रांसफर करके उसकी जान बचाई थी।
कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म 14 जून 1868 को ऑस्ट्रिया के शहर वियाना में हुआ था। कार्ल लैंडस्टीनर ने पता लगाया कि एक व्यक्ति का खून बिना जांच के दूसरे को नहीं चढ़ाया जा सकता है क्योंकि सभी मनुष्य का ब्लड ग्रुप अलग होता है।
कार्ल लैंडस्टीनर का तर्क था कि दो व्यक्तियों के विभिन्न ब्लड ग्रुप संपर्क में आने के साथ रक्त अणुओं पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 1900-1901 दौरान कार्ल लैंडस्टीनर ने इंसानी खून के एबीओ रक्त समूह और रक्त में मिलने वाले एक अहम तत्व आरएच फैक्टर की खोज की।
उन्हें 1930 में नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। अपनी महान खोज के कारण उन्हें ट्रांसफ्यूजन मेडिसन का पितामह भी कहा जाता है।
(The blog writer/Compiler is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI", Member of "Jan Manch", Holds "Palakatva of NMC", Is a Para Legal Volunteer, District Court, Nagpur & Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court).
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