अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की दीवारों को लगभग 90 सालों से (सु)(कु) शोभीत करती मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर में यकायक जान आ गयी। जिन्ना का विषय क्या दो समय की वाजपई सरकार के वक्त नही था? उत्तर प्रदेश के भाजपा सरकार के समय AMU नही थी? क्या विपक्षी पार्टियां उस समय इस राजनीतिक अखाड़े का हिस्सा नही थी? हमारे देश मे कितनी ही इमारते, सड़कें, कुछ शहर, अंग्रेजों के नाम पर है, मुग़लों के नाम पर है.. इन मे से काफी लोग तो जिन्ना से किसी भी तरह छोटे खलनायक नही थे!
फिर??
जिन्ना साहब "सिनेमाई मिस्टर इंडिया" की तर्ज पर आप की अदृश्य ताकत को सलाम!! दशकों पहले आपका इंतकाल जरूर हो गया मगर भारतीय राजनीति पर आपकी जोरदार और पैनी पकड़ आज भी बनी हुई है। यकीन न आये तो आडवाणी जी से पूछा जा सकता है। आप की "आड़" में उनकी "वाणी" ही गुल हो गयी!!
वैसे तो जात, पात, लिंग, भेद, मंदिर, मस्जिद, देशी, विदेशी, ब्राह्मण, शुद्र ये सभी गुणों-अवगुणों की परछाई हमारा साथ कभी नही छोड़ती मगर जिस तरह लाल बत्ती होने पर ही सिनेमाई मिस्टर इंडिया के दर्शन होते थे उसी तरह हमारे देश की राजनीति में चुनाव के आते ही इन गुणों-अवगुणों के दर्शन होते है!
ओछी राजनीति का जात, पात, लिंग-भेद, मंदिर, मस्जिद, देशी, विदेशी, ब्राह्मण, शुद्र रूपी दीया घिसते ही इस बार "For a Change" जिन्ना रूपी जिन्न अवतारित हो गया और आकाओं (राजनेता और समाज विरोधी कुनबों) को नफरत की राजनीति करवाने का मोहरा मिल गया। वैसे असल मोहरें "माई बाप" रूपी जनता जनार्दन है या नही ये "माई बाप" को ही समझना है!
साक्षात प्रणाम हमारी राजनीति और राजनेताओं को!!
(The blog writer is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI", Member of "Jan Manch", Holds "Palakatva of NMC", Is a Para Legal Volunteer, District Court Nagpur & Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court.)
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