पॉवर के तीन सोर्स है: पैसा, पद और व्यवहार.
पैसे से जो पॉवर मिलता है वह एकांतजीवी बना देता है. धनोपार्जन के साथ अक्सर घमंड आ जाता है जो समाज से सरोकार सीमित कर देता है.
पद से मिले पॉवर के कारण लोगों को मान सम्मान मिलता है जो सच में डर होता है, इज्जत नहीं. लोग कुर्सी से डरते हैं पर व्यक्ति इसे अपना मान सम्मान और अपनी उपलब्धि मान लेता है. पद छूटता है तो यह डर खत्म हो जाता है. ऐसे शक्स कुंठा में जीने लगते हैं. यही नहीं, जो लोग कभी उनके पॉवर से डरते थे, अपमानित हुए थे वे रिवर्स एक्शन शुरु कर देते हैं.
सही पॉवर व्यवहार से मिलता है. जो अपने व्यवहार से मान- सम्मान कमाते है उनका पॉवर कभी खत्म नहीं होता बल्कि उनके सद्व्यवहार से दिनों दिन चक्रवृद्धि ब्याज की तरह बढ़ता जाता है.
पावरफुल अवश्य बनें पर पैसे या पद से नहीं, व्यवहार से...
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