Friday, May 11, 2018

ट्रेन के हर हॉर्न का मतलब अलग अलग होता है ?

क्या आपको पता है कि भारतीय रेल में ट्रेन के हॉर्न का मतलब अलग-अलग होता है? आईये जानते हैं क्या होता है हॉर्न का अलग-अलग मतलब...

1) एक बार छोटा हॉर्न

जैसे अगर ड्राइवर ने एक बार छोटा हॉर्न बजाया तो इसका मतलब है कि ट्रेन यार्ड (जहां ट्रेन की धुलाई होती है) में जाने के लिये तैयार है।

2) दो बार छोटे हॉर्न

अगर ड्राईवर द्वारा दो बार छोटा हॉर्न बजा रहा है तो इसका मतलब वो गार्ड से ट्रेन चलाने के लिये सिग्नल (संकेत) मांग रहा है।

3) तीन बार छोटे हॉर्न

ट्रेन चलाते वक्त अगर ड्राइवर तीन बार छोटे हॉर्न बजा रहा है तो इसका मतलब है गाड़ी अपना नियंत्रण खो चुकी है गार्ड अपने डिब्बे में लगे वैक्युम ब्रेक लगाये।

4) चार बार छोटे हॉर्न

ट्रेन चलते हुए अगर रुक जाती है और चालक चार बार छोटा हॉर्न बजा रहा है तो इसका मतलब इंजन में खराबी आने के कारण गाड़ी आगे नहीं जा सकती या फिर आगे कोई दुर्घटना हो गई है जिसके कारण ट्रेन आगे नहीं जा सकती है।

5) एक लम्बा और एक छोटा हॉर्न

ड्राइवर द्वारा अगर एक लम्बा और एक छोटा हॉर्न दिया जा रहा है तो इसका मतलब चालक गार्ड को संकेत दे रहा है कि ट्रेन चलने से पहले ब्रेक पाइप सिस्टम चेक कर लें ब्रेक ठीक काम कर रहा है या नहीं।

6) दो लम्बा और दो छोटा हॉर्न

चालक द्वारा अगर दो लम्बा और दो छोटा हॉर्न दिया जा रहा है तो ड्राइवर गार्ड को इंजन पर बुलाने का संकेत दे रहा है।

7) लगातार लम्बा हॉर्न

अगर चालक लगातार लम्बा हॉर्न दे रहा है तो इसका मतलब है ट्रेन नॉनस्टाप (बिना रुके) स्टेशन को पार कर रही है।

8) रुक-रुक कर लम्बा हॉर्न

अगर चालक रुक-रुक कर लम्बा हॉर्न दे रहा है तो इसका मतलब ट्रेन किसी रेलवे क्रासिंग (रेलवे फाटक) को पार कर रही है और सड़क मार्ग से आने-जाने वाले लोगों को सतर्क कर रही है।

9) एक लम्बा एक छोटा फिर से एक लम्बा एक  
     छोटा हॉर्न

अगर चालक एक लम्बा एक छोटा फिर से एक लम्बा एक छोटा हॉर्न दे रहा है तो इसका मतलब है ट्रेन विभाजित (टुकड़ों में बंट गई है) हो गई है।

10) दो छोटे और एक लम्बा हॉर्न

चालक द्वारा अगर दो छोटे और एक लम्बा हॉर्न दिया जा रहा है तो इसका मतलब है किसी ने ट्रेन की इमरजेंसी चैन (आपातकालीन जंजीर) खीचीं है या फिर गार्ड ने वैक्युम ब्रेक लगाया है।

11) छ: बार छोटे हॉर्न

अगर ड्राइवर द्वारा छ: बार छोटे हॉर्न दिया जा रहा है तो इसका मतलब है किसी तरह का कोई बड़ा खतरा हो सकता है।

(The blog writer is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI",  Member of "Jan Manch",  Holds "Palakatva of NMC",  Is a Para Legal Volunteer, District Court Nagpur & Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court.)



Tuesday, May 8, 2018

HOW MANY OF THE BELOW DO YOU ALREADY KNOW?

1. Glabella The space between your eyebrows is called a glabella.

2. Petrichor - The way it smells after the rain is called petrichor.

3. Aglet - The plastic or metallic coating at the end of your shoelaces is called an aglet.

4. Wamble - The rumbling of stomach is actually called a wamble.

5. Vagitus - The cry of a new born baby is called a vagitus.

6. Tines - The prongs on a fork are called tines.

7. Phosphenes - The sheen or light that you see when you close your eyes and press your hands on them are called phosphenes.

8. Box Tent- The tiny plastic table placed in the middle of a pizza box is called a box tent.

9. Overmorrow - The day after tomorrow is called overmorrow.

10. Minimus - Your tiny toe or finger is called minimus.

11. Agraffe - The wired cage that holds the cork in a bottle of champagne is called an agraffe.

12. Vocables - The 'na na na' and 'la la la', which don't really have any meaning in the lyrics of any song, are called vocables.

13. Interrobang - When you combine an exclamation mark with a question mark (like this ?!), it is referred to as an interrobang.

14. Columella Nasi - The space between your nostrils is called columella nasi.

15. Armscye - The armhole in clothes, where the sleeves are sewn, is called armscye.

16. Dysania - The condition of finding it difficult to get out of the bed in the morning is called dysania.

17. Griffonage - Unreadable hand-writing is called griffonage (Are you reading this dear doctors?)

18. Tittle - The dot over an “i” or a “j” is called tittle.

19. Crapulence- That utterly sick feeling you get after eating or drinking too much is called crapulence.

20. Bannock Device - The metallic device used to measure your feet at the shoe store is called Bannock device.

कुलदेवता/कुलदेवी की पूजा क्यूं करनी चाहिये

    कुलदेवता/कुलदेवी की पूजा क्यूं करनी चाहिये

हिन्दू पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुल देवता/कुलदेवी का स्थान सदैव से रहा है, प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है ,बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया विभिन्न कर्म करने के लिए ,जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गया और जाति कहा जाने लगा । हर जाति वर्ग , किसी न किसी ऋषि की संतान है और उन मूल ऋषि से उत्पन्न संतान के लिए वे ऋषि या ऋषि पत्नी कुलदेव / कुलदेवी के रूप में पूज्य हैं । पूर्व के हमारे कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था ,ताकि एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहे जिससे उनकी नकारात्मक शक्तियों/ऊर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह उन्नति करते रहें |

समय क्रम में परिवारों के एक दुसरे स्थानों पर स्थानांतरित होने ,धर्म परिवर्तन करने ,आक्रान्ताओं के भय से विस्थापित होने ,जानकार व्यक्ति के असमय मृत होने ,संस्कारों के क्षय होने ,विजातीयता पनपने ,इनके पीछे के कारण को न समझ पाने आदि के कारण बहुत से परिवार अपने कुल देवता /देवी को भूल गए अथवा उन्हें मालूम ही नहीं रहा की उनके कुल देवता /देवी कौन हैं या किस प्रकार उनकी पूजा की जाती है ,इनमें पीढ़ियों से शहरों में रहने वाले परिवार अधिक हैं ,कुछ स्वयंभू आधुनिक मानने वाले और हर बात में वैज्ञानिकता खोजने वालों ने भी अपने ज्ञान के गर्व में अथवा अपनी वर्त्तमान अच्छी स्थिति के गर्व में इन्हें छोड़ दिया या इन पर ध्यान नहीं दिया |

कुल देवता /देवी की पूजा छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक तो कोई ख़ास अंतर नहीं समझ में आता ,किन्तु उसके बाद जब सुरक्षा चक्र हटता है तो परिवार में दुर्घटनाओं ,नकारात्मक ऊर्जा ,वायव्य बाधाओं का बेरोक-टोक प्रवेश शुरू हो जाता है ,उन्नति रुकने लगती है ,पीढ़िया अपेक्षित उन्नति नहीं कर पाती ,संस्कारों का क्षय ,नैतिक पतन ,कलह, उपद्रव ,अशांति शुरू हो जाती हैं ,व्यक्ति कारण खोजने का प्रयास करता है, कारण जल्दी नहीं पता चलता क्योकि व्यक्ति की ग्रह स्थितियों से इनका बहुत मतलब नहीं होता है ,अतः ज्योतिष आदि से इन्हें पकड़ना मुश्किल होता है ,भाग्य कुछ कहता है और व्यक्ति के साथ कुछ और घटता है|

कुल देवता या देवी हमारे वह सुरक्षा आवरण हैं जो
किसी भी बाहरी बाधा ,नकारात्मक ऊर्जा के परिवार
में अथवा व्यक्ति पर प्रवेश से पहले सर्वप्रथम उससे संघर्ष करते हैं और उसे रोकते हैं ,यह पारिवारिक संस्कारों और नैतिक आचरण के प्रति भी समय समय पर सचेत करते रहते हैं, यही किसी भी ईष्ट को दी जाने वाली पूजा को ईष्ट तक पहुचाते हैं ,,यदि इन्हें पूजा नहीं मिल रही होती है तो यह नाराज भी हो सकते हैं और निर्लिप्त भी हो सकते हैं ,,ऐसे में आप किसी भी ईष्ट की आराधना करे वह उस ईष्ट तक नहीं पहुँचता ,क्योकि सेतु कार्य करना बंद कर देता है, बाहरी बाधाये ,अभिचार आदि ,नकारात्मक ऊर्जा बिना बाधा व्यक्ति तक पहुचने लगती है, कभी कभी व्यक्ति या परिवारों द्वारा दी जा रही ईष्ट की पूजा कोई अन्य बाहरी वायव्य शक्ति लेने लगती है ,अर्थात पूजा न ईष्ट तक जाती है न उसका लाभ मिलता है|

ऐसा कुलदेवता की निर्लिप्तता अथवा उनके कम
             शशक्त होने से होता है ।

कुलदेवता या देवी सम्बंधित व्यक्ति के पारिवारिक संस्कारों के प्रति संवेदनशील होते हैं और पूजा पद्धति ,उलटफेर ,विधर्मीय क्रियाओं अथवा पूजाओं से रुष्ट हो सकते हैं ,सामान्यतया इनकी पूजा वर्ष में एक बार अथवा दो बार निश्चित समय पर होती है ,यह परिवार के अनुसार भिन्न समय होता है और भिन्न विशिष्ट पद्धति होती है, शादी-विवाह-संतानोत्पत्ति आदि होने पर इन्हें विशिष्ट पूजाएँ भी दी जाती हैं, यदि यह सब बंद हो जाए तो या तो यह नाराज होते हैं या कोई मतलब न रख मूकदर्शक हो जाते हैं और परिवार बिना किसी सुरक्षा आवरण के पारलौकिक शक्तियों के लिए खुल जाता है ,परिवार में विभिन्न तरह की परेशानियां शुरू हो जाती हैं, अतः प्रत्येक व्यक्ति और परिवार को अपने कुल देवता या देवी को जानना चाहिए तथा यथायोग्य उन्हें पूजा प्रदान करनी चाहिए, जिससे परिवार की सुरक्षा -उन्नति होती रहे ।

Sunday, May 6, 2018

जिन्ना- जिन्न- मिस्टर इंडिया रूपी भारतीय राजनीति

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की दीवारों को लगभग 90 सालों से (सु)(कु) शोभीत करती मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर में यकायक जान आ गयी। जिन्ना का विषय क्या दो समय की वाजपई सरकार के वक्त नही था? उत्तर प्रदेश के भाजपा सरकार के समय AMU नही थी? क्या विपक्षी पार्टियां उस समय इस राजनीतिक अखाड़े का हिस्सा नही थी? हमारे देश मे कितनी ही इमारते, सड़कें, कुछ शहर, अंग्रेजों के नाम पर है, मुग़लों के नाम पर है.. इन मे से काफी लोग तो जिन्ना से किसी भी तरह छोटे खलनायक नही थे!

फिर??

जिन्ना साहब "सिनेमाई मिस्टर इंडिया" की तर्ज पर आप की अदृश्य ताकत को सलाम!! दशकों पहले आपका इंतकाल जरूर हो गया मगर भारतीय राजनीति पर आपकी जोरदार और पैनी पकड़ आज भी बनी हुई है। यकीन न आये तो आडवाणी जी से पूछा जा सकता है। आप की "आड़" में उनकी "वाणी" ही गुल हो गयी!!

वैसे तो जात, पात, लिंग, भेद, मंदिर, मस्जिद, देशी, विदेशी, ब्राह्मण, शुद्र ये सभी गुणों-अवगुणों की परछाई हमारा साथ कभी नही छोड़ती मगर जिस तरह लाल बत्ती होने पर ही सिनेमाई मिस्टर इंडिया के दर्शन होते थे उसी तरह हमारे देश की राजनीति में चुनाव के आते ही इन गुणों-अवगुणों के दर्शन होते है!

ओछी राजनीति का जात, पात, लिंग-भेद, मंदिर, मस्जिद, देशी, विदेशी, ब्राह्मण, शुद्र रूपी दीया घिसते ही इस बार "For a Change" जिन्ना रूपी जिन्न अवतारित हो गया और आकाओं (राजनेता और समाज विरोधी कुनबों) को नफरत की राजनीति करवाने का मोहरा मिल गया। वैसे असल मोहरें "माई बाप" रूपी जनता जनार्दन है या नही ये "माई बाप" को ही समझना है!

     साक्षात प्रणाम हमारी राजनीति और राजनेताओं को!!

(The blog writer is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI",  Member of "Jan Manch",  Holds "Palakatva of NMC",  Is a Para Legal Volunteer, District Court Nagpur & Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court.)


Saturday, May 5, 2018

Family Welfare Committee

Family Welfare Committee
In 1983, ‘Section 498-A of the IPC was introduced with avowed object to combat the menace of harassment to a woman at the hands of her husband and his relatives. However lately it has been noticed that the law has been grossly misused & is used as an arm twisting tactics certainly not by all females but most of them. There was & is a growing trend to call without evidence, relatives, including senior citizens and minor children, siblings, grand-parents and uncles on the strength of vague and exaggerated allegations without any verifiable evidence of physical or mental harm or injury.

“Unfortunately, this Act is not used to resolve issues by the ‘have not’s but by those who have. Most of the ‘haves’ use this Act as a weapon to seek or gain monetary benefits,” opined Senior Advocate Mrunalini Deshmukh, one of the top lawyers practicing in divorce and ancillary issues of custody and maintenance at Money life Foundation's 12-week series "Police & You". 

In December 2014, the apex court had observed that false complaints under Section 498A against innocent in-laws alleging cruelty and harassment were on the rise. 

"For no fault, the in-laws, especially old parents of the husband, are taken to jail the moment a false complaint is filed against them by a woman under Section 498-A. By roping in in-laws without a reason and for settling a score with the husband, the false and exaggerated 498-A complaints are causing havoc to marriages," the bench of (the then) Chief Justice HL Dattu and Justice AK Sikri had observed. 

The Apex Court had noticed the fact that most of such complaints are filed in the heat of the moment over trivial issues. Many such complaints are not bona fide. At the time of filing of the complaint, implications and consequences are not visualized. At times, such complaints lead to uncalled for harassment not only to the accused but also to the complainant. Uncalled for arrest may ruin the chances of settlement. The Court had earlier observed that a serious review of the provision was warranted.” 

Accordingly, In July 2017, the Supreme Court, in a case titled Rajesh Sharma & Others Vs State of UP & Others, had issued a series of guidelines, including constitution of Family Welfare Committees, to check the misuse of Section 498A. The Bench stated, “Omnibus allegations against all relatives of the husband cannot be taken at face value when in normal course it may only be the husband or at best his parents who may be accused of demanding dowry or causing cruelty. To check abuse of over implication, clear supporting material is needed to proceed against other relatives of a husband.” 

The apex court has asked the District Legal Services Authorities to set up a three member Family Welfare Committees at district level. These Committees will review complaints filed under Section 498A and interact with parties involved in such cases. The Committee will prepare a report of the case and submit it to the relevant authority. 

The Supreme Court has said that there will be no arrests under Section 498A, unless the District Family Welfare Committee report vets domestic violence by family members. Pending the Committee report, no arrest will be made, the apex court said. The relatives may appear for hearing before the Committee via video conferencing & their personal appearance is not required. In addition, impounding of passports and issuance of Red Corner notices for people staying abroad would not be a routine practice. 

The cases under 498A would only be investigated by designated Investigating Officers of that area. It has also been left open to District and Sessions judges to dispose of criminal proceedings should the parties arrive at a settlement. Judges will also have the power to club all matrimonial disputes related to the parties so that 'a holistic view is taken'.

A Family Welfare Committee has been constituted for Nagpur District & the said Committee has been working as per the guidelines of the Hon. Supreme Court.

(The blog writer is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI",  Member of "Jan Manch",  Holds "Palakatva of NMC",  Is a Para Legal Volunteer, District Court, Nagpur & Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court).

Pl Visit my you tube link for further details.

https://youtu.be/8HOuI7g46_c







'BASICS' : Always the SUPREME yardstick

Unless and until the ' BASICS ' are in the right place, all other things would eventually fall into the category of appeasement. App...