Wednesday, June 5, 2024

'BASICS' : Always the SUPREME yardstick

Unless and until the 'BASICS' are in the right place, all other things would eventually fall into the category of appeasement. Appeasement and wants are mostly desired and cherished by those who are comparatively more privileged. A large majority of the public is daily running pillar to post with strife and struggle to make both ends meet or to sustain the livelihood. As a result after a certain period of time the euphoria diminishes and the 'BASICS' again take the center stage.

Now, what are the 'BASICS'? They are the same that have always been there (in varied proportions): unemployment, inflation, poverty, healthcare. At the end of the day, relief from these 'BASIC' needs will matter. And if there is no relief from these 'BASIC' needs, then naturally people will vote keeping in mind the caste and other factors. If these 'BASIC' needs are resolved or genuine attempts are made to resolve them, then people will vote keeping in mind these and other development issues only.

History has time and again proved that governments fall because of their inability to meet these 'BASICS', and the new regime is given a chance in the hope (because this is what they promise and assure while seeking votes) that they will make these long-due 'BASICS' a reality.

Needless to say, politics of self-goals, sans any ideology and principles, (mis)use of media and institutions of governence at will and as per suitability, corruption, cheap appeasement approach, religious divide while keeping the public interest - aspirations on the last priority list are the absolute roadblocks in even considering  forget making a genuine attempt in resolving the 'BASICS'. 

Development and other appeasement politics will always take a backseat until 'BASICS' are taken care of.

'BASICS' will always be the 'SUPREME' yardstick.

Friday, April 19, 2024

मतदान ना केवल हमारा अधिकार, बल्कि हमारा कर्तव्य हमारी ज़िम्मेदारी।

मतदान, आइए बनाए इसे जन अभियान

मतदान का अधिकार देता हमारा संविधान।

मतदान, ना केवल हमारा अधिकार,

बल्कि 

देश के प्रति 
हमारी निष्ठा, 
हमारा कर्तव्य, 
हमारा व्यवहार,
जन भावना का 
अतुल्य त्योहार।

जागो, जगाओ, उठो, उठाओ, संग ले - चल पड़ो,

अपनों को, मित्रों को, पास पड़ोसियों को, कर्मचारियों को

ताकि ना रहे कोई अपना अधिकार, अपना कर्तव्य, अपनी निष्ठा, अपने सपने -

संजोने,  
जताने, 
बताने,
मनाने से वंचित।

मतदान, आइए बनाए इसे जन अभियान

आइए बनाए इसे जन अभियान।

रक्तदान, जीवन बचाने
मतदान, लोकशाही बचाने
दोनों के प्रति हमेशा अग्रसर रहें, जिम्मेदार रहें।

(The blog writer/compiler is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is Ex President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI", Member of "Jan Manch", Holds "Palakatva of NMC", is a Para Legal Volunteer, District Court, Nagpur, RTI Activist, Core Committee Member of Save Bharat Van Movement, Member of Alert Citizen Group, Nagpur Police, Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court
Twitter: @amitgheda).


Sunday, March 17, 2024

विकास के आड़ नित नए दिन पर्यावरण से होता खिलवाड़।

विकास के आड़ 
नित नए दिन पर्यावरण से होता खिलवाड़।
पर्यावरण का नहीं कोई पर्याय
पॉलिसी मेकर्स को ये क्यों समझ ना आएं।

भारत वर्ष के सर आंखों पर विराजमान लद्दाख
अपने अस्तित्व को संजोने कर रहा अथक प्रयास।
आम जन मानस को भी होगा बढ़ाना हाथ
देना होगा लद्दाखियों का साथ।

जो बैठेंगे मुंह पर चुप्पी साधे अब
किसे पुकारेंगे खुद पर बन आएगी तब।
आने वाली नस्ले मांगेगी चुप्पी का सबब
नजरें नही मिला पाएंगे आज जो मौन रहेंगे तब।

आओं, 
बोलें - करे "मन की बात", 
ना जागे जब तक पॉलिसी मेकर्स के
जज्बात!

पर्यावरण संरक्षण - एक सोच, एक ध्येय, एक उद्देश्य, वर्तमान एवम आने वाले भविष्य की विकल्पहीन वास्तविकता...

Monday, January 22, 2024

राम किसके घर आयेंगे?

वनवास से लौटकर वापस राम घर आयेंगे। पर समस्या यह है की राम तो एक ही है। किस किस के घर आयेंगे?? किसी व्यक्ति या समाज का निरादर करके, जय श्री राम कहने भर से राम नही आयेंगे।

तो ध्यान से सुने और समझे..

जो पिता की एक आवाज पर सुख, सुविधा और ऐश्वर्य त्याग ने को तयार हो, राम उसके घर आयेंगे।

जो भाई बंधु के लिए सारी संपत्ति त्यागने का बड़ा मन रखे, राम उसके घर आयेंगे।

जो नारी सम्मान के लिए पूरी हुकूमत से लड़ने तैयार हो, राम उसके घर आयेंगे।

जो जल, पृथ्वी, पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार हो, जो समाज में फैली कुरीतियां जैसे आतंकवाद, कन्या भ्रूण हत्या से लड़ने तैयार हो, राम उनके घर आयेंगे।

जिस दिन हम सब ये सब करने, त्याग करने तैयार हो जाएंगे, हमे साक्षात भगवान राम के दर्शन हो जायेंगे।

राम कोई इंसान या भगवान ही नहीं, वो तो एक त्याग की भावना है जो करना चाहे तो बहोत ही आसान है और ना करना चाहो तो बहोत कठिन।

राम करुणा, त्याग और समर्पण की मूर्ति माने जाते है। उन्होंने मर्यादा, विनम्रता, धैर्य और पराक्रम का सर्वोश्रेष्ठ उदाहरण संसार के सामने प्रस्तुत किया है। 

इसलिए राम उन्ही के घर आयेंगे जो राम नाम को अपने आचरण में लाने का प्रयास करेंगे।

राम हर पल में है, राम हर सांस में है
राम कण कण में है, राम समर्पण में है
राम से ही आशा है, राम से ही आस है
प्रारंभ में राम है, अंत में राम है
करुणा में राम है, भक्ति सत्संग में राम है
मित्र कल्याण के मंथन में राम है, शत्रु के चिंतन में राम है
अतीत में राम है, वर्तमान में राम है, 
भविष्य में राम है, अनंतकाल में राम है, 
राम ही राम है, राम ही राम है। 

                  जय श्री राम। जय सिया राम।

(The blog writer/compiler is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. 

Besides, he is -

1) Ex President of "Consumer Justice Council", 
2) Secretary of "SARATHI".
3) Member of "Jan Manch".
4) Holds "Palakatva of NMC".
5) Para Legal Volunteer, District Court,  
6) RTI Activist.
7) Core Committee Member of Save            Bharat Van Movement.
8) Member of Alert Citizen Group, Nagpur 
Police.
9) Ex Member of Family Welfare Committee formed under the guidelines of Hon. Supreme Court.

Twitter: @amitgheda.

'BASICS' : Always the SUPREME yardstick

Unless and until the ' BASICS ' are in the right place, all other things would eventually fall into the category of appeasement. App...