गिलहरीयों का खेल
तितलियों की उमंग
कोयल का चहकना
नदियों का बहकना
पत्तों की सरसराहट
हवा के झोंकों की आहट..
पंछियों की उड़ान
प्रकृति का वरदान
पेड़, पौधे, पंछी, नदिया, पवन
खेत खलिहान।
देख इन आभूषणों का
होता चीरहरण
जन जन का
बेचैन मन
दुखी अंतःकरण।
छलकते आंसू
करते पार नयन
पूछे सवाल
पेड़, पौधे, पंछी, नदिया, पवन
नाश इनका हो रहा
या हो रहा हमारा पतन ?
आओं मिल जुल कर
करें जतन
ना उजड़े हमारे
बाग, बागीचे, वन..
नाश जो इनका होगा
होगा हमारा पतन
नाश जो इनका होगा
होगा हमारा पतन..
(This is copyrighted and has been published in various magzines-platforms in the name of the blogger).
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पेड़ बचाएँ, पेड़ लगाएं।
Save Trees, Plant Trees.
जंगल बचाएँ, Save Forests.
Save Enviornment, Save Earth, Save Planet.
(The blog writer/compiler is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI", Member of "Jan Manch", Holds "Palakatva of NMC", is a Para Legal Volunteer, District Court, Nagpur, RTI Activist, Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court).