अस्थि कलश
गोद में,
हँसी
छिपाई नही
छीप रहीं
होंठ में..
बेजोड़ है साहब
आपकी हस्ती
राजनीति गर्मा रही
आपकी अस्थि!
आपके सदाचार
आपकी वाणी,
आपका व्यक्तित्व
से
नही सरोकार
नेता
बन अभिनेता
बस
कर रहें
अपनी राजनीति साकार!
अटल हुए
आप
कर्मों से
राह दिखाई
पद चिन्हों से!
राह भटके
अपने
नाम आपके
बुन रहे
फिर
सपने अपने!
वर्षों से
ना अभिवादन,
ना स्मृति
ना मंथन
राम लीला
पर
मगर
हो रहा
गहन चिंतन!
राजनीति का मैदान
बना अखाड़ा
नाम तेरे,
बाद तेरे,
फुट पड़ा
चुनावी नगाड़ा!
देश का ये रतन
पिडा से
कराह रहा होगा
देख
पक्ष विपक्ष द्वारा
राजनीति का पतन!!
(The blog writer is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides he is President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI", Member of "Jan Manch", Holds "Palakatva of NMC", Is a Para Legal Volunteer, District Court Nagpur & Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court to prevent misuse of 498A).