नित नए दिन पर्यावरण से होता खिलवाड़।
पर्यावरण का नहीं कोई पर्याय
पॉलिसी मेकर्स को ये क्यों समझ ना आएं।
भारत वर्ष के सर आंखों पर विराजमान लद्दाख
अपने अस्तित्व को संजोने कर रहा अथक प्रयास।
आम जन मानस को भी होगा बढ़ाना हाथ
देना होगा लद्दाखियों का साथ।
जो बैठेंगे मुंह पर चुप्पी साधे अब
किसे पुकारेंगे खुद पर बन आएगी तब।
आने वाली नस्ले मांगेगी चुप्पी का सबब
नजरें नही मिला पाएंगे आज जो मौन रहेंगे तब।
आओं,
बोलें - करे "मन की बात",
ना जागे जब तक पॉलिसी मेकर्स के
जज्बात!
पर्यावरण संरक्षण - एक सोच, एक ध्येय, एक उद्देश्य, वर्तमान एवम आने वाले भविष्य की विकल्पहीन वास्तविकता...