Tuesday, September 14, 2021

लोकतांत्रिक राजनीति

सड़कों पर गढ्ढे

गड्ढों में जनतंत्र

वोट नोट कर हजम

बिंधास्त - बेफिक्र 

मंत्री - संत्री

सरकारी यंत्र - तंत्र!

पेट जो गया भर

कौन पूछें - सुने

जन समस्या - जन स्वर!


राजनीति की खासियत

वोट तक, नोट तक

हो नतमस्तक,

वादे, नेक इरादे

चिंता, फिक्र 

की अमृत वाणी

चहुं ओर..


और "लक्ष्य" प्राप्ति पर

यूं ग्रसित होती

यंत्र तंत्र की वाणी,

हो जैसे

शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस..

भेट चढ़ता

जनतंत्र का विश्वास!


(शॉर्ट) टर्म पुरा होते ही

फिर वही

वादे, इरादे...

विकास!


भेट चढ़ता रहता

जनतंत्र का विश्वास!

'BASICS' : Always the SUPREME yardstick

Unless and until the ' BASICS ' are in the right place, all other things would eventually fall into the category of appeasement. App...