Saturday, July 11, 2020

विकास/मिस्टर विकास - सरेंडर/एनकाउंटर: कौन सी नई बात हो गई?

"विकास" दुबे सरेंडर्स....

कौन सी नई बात हो गई??
विकास तो कभी का सरेंडर हो चुका है, काल कोठरी में बंद है, इलेक्शन के समय और यदा कदा कुछ दिनों की पैरोल मिलती है, फिर अन्दर!

हां, इस विकास का एक भाई है, मिस्टर विकास, मिस्टर इंडिया की तरह...दिखता नहीं, मगर होता है..किसका, कितना, कैसे, कब, ये पर्दे के अंदर की बात है। जिस तरह मिस्टर इंडिया लाल बत्ती में ही दिख पड़ता था, ये मिस्टर विकास, सत्ता, राजनीति, बाहुबल के गलियारों में घूमता, फिरता, टहलता दिख पड़ता है। 

यकीनन, दर्शन लाभ लेने हेतु आपको भी वहां विराजमान होना अनिवार्य है। दूसरे शब्दों में आपको लाल बत्ती के सानिध्य में होना चाहिए।

दुजी खबर की विकास एनकाउंटर में मारा गया..ये भी कौन सी नई बात हो गई? 

काल कोठरी में बंद विकास वैसे भी रहता तो एनकाउंटर वाले मोड में ही है ना? एनकाउंटर होना, कोमा में जाना, चुनाव के समय स्वास्थ लाभ होना, चुनाव के पश्चात फिर कॉमप्लीकेशनस के साथ वेंटिलेटर पर जाना, इन राजनीतिसैर्गिक विपदाओं से विकास सदैव "विक" होता रहा है और रहती है तो बस उसकी "आस"...

हां, मिस्टर विकास की बात भिन्न है। वो एनकाउंटर या सरेंडर के खेल से अछूता है.. संभवतः रिजर्वेशन या आरक्षण कोटे में है।

विडम्बना देखिए कि दोनो विकासों में कितना फर्क है, एक काल कोठरी में बंद, लुप्त, आम जन के दायरे से ओझल और दूजा -  हस्ता, खेलता, इठलाता, नजरों में, मगर फिर भी मिस्टर इंडिया की तरह आम जनता के नज़रों से अदृश्य.. ओझल!

विकास शतरंज के खेल की बिसात पर रचे प्यादों की तरह है..जिनका अपना कोई वजूद नहीं होता.. कौन सी चाल कब और कैसे चली जाए, ये केवल राजा, वज़ीर और राजदरबार के दरबारी अपने अपने हिसाब से तय करते है..प्यादे तो बस सरेंडर और एनकाउंटर होते रहते है..

विकास - आम जनता ।।
मिस्टर विकास - शासन, प्रशासन, सत्ता के गलियारों के यार और मित्र परिवार ।।
राजनीति सैर्गिक - नैसर्गिक ।।

(The blog writer/compiler is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is Ex President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI",  Member of "Jan Manch",  Holds "Palakatva of NMC", is a Para Legal Volunteer, District Court, Nagpur, RTI Activist, Core Committee Member of Save Bharat Van MovementParyavaran Prerna "Vidarbha", Member of Alert Citizen Group, Nagpur Police, Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court
Twitter: @amitgheda).




Friday, July 3, 2020

सत्ता, पुलिस, प्रशासन, मीडिया का निरंकुश, अटूट मेल मिलाप




संगीन आरोपों में शामिल "विकास" दुबे जैसे कई हिस्ट्रीशीटर किसी बड़े नेता या मंत्री के संरक्षण में फलते फूलते है और आमतौर पर पुलिस वाले (अपवाद छोड़कर) भी अमूमन इन पर कृपा दृष्टि रखते ही है। जानते सभी है, मगर अपनी अपनी रोटी जो सेकनी होती है। नतीजा: 8 परिवार हाल में और न जाने ऐसे कितने जिन कि खबर तक नहीं हुई हो तबाह हो गए। (राज)नीति और गुंडा(राज), सामान्य तौर पर एक दूसरे के पूरक ही रहे है। तभी तो अनगिनत कांडों में लिप्त अपराधी खुले आम, डंके की चोट पे पनप्ते है। 

और हां, "कोई भी" पार्टी इस "गुंडानिती" से अछूती नहीं है। जनता की आंखों में धूल झोंकना और उनका उत्पीड़न स्वयं अपने और ऐसे टुच्चों के हाथों करना, ये राजनेताओं (अपवाद छोड़कर) का अभिन्न गुरु मंत्र है, क्यूंकि आखिर राजनीति तो व्यक्तिगत व्यवसाय ही है। सत्ता, पुलिस, प्रशासन, मीडिया (अपवाद छोड़कर) का निरंकुश अटूट मेल मिलाप ऐसे अनगिनत "विकास" दुबे बुनते, चुनते, गढ़ते रहा है और आगे भी करता रहेगा क्यूंकि जनता की भूमिका वोट करने तक ही सीमित रहती है। 

अब विकास दुबे के मामले में हो हल्ला होगा, कारवाही की तत्परता दिखेगी, संभवतः वह मारा भी जाएगा। कुछ दल, नेता, पक्ष, विपक्ष, प्रशासन वाह वाही बटोरेंगे, शहीदों और उनके परिवारों को सांत्वना, निधि, नौकरी मिलेगी। "विकास", बाकी किसी और कोने में, हर कोने में, चलता, फूलता, फलता, पनपत्ता, बुना जाता, चुना जाता, गढ़ता जाता रहेगा- निरंकुश, बेधड़क, डंके की चोट पे क्यूंकि राजनीति से सत्ता, पुलिस, प्रशासन, मीडिया (अपवाद छोड़कर) का अटूट मेल मिलाप किसी और कोने में फूलता, फलता, पनपत्ता, बुनता, चुनता, गढ़ता, चलता रहेगा। 

क्यूंकि विकास ही तो राजनीति है, "किसका"  यह कोई प्रश्न नहीं हुआ। 

हमारी भूमिका तो बस वोट देने तक सीमित है।

PS: राजनीति, पुलिस, प्रशासन और मीडिया में कुछ अपवाद होते है, मगर जेम तेम। बेेदाग राजनेताओं, पुलिस, प्रशासन और मीडिया कर्मियों के प्रति हमारे दिल में अथाह आदर है और हम सभी उन्हें सलाम करते है। इन अपवादों से परे जो लोग है, इस लेख में उन्हीं का जिक्र है।


(The blog writer/compiler is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm. Besides, he is Ex President of "Consumer Justice Council", Secretary of "SARATHI",  Member of "Jan Manch",  Holds "Palakatva of NMC", is a Para Legal Volunteer, District Court, Nagpur, RTI Activist, Core Committee Member of Save Bharat Van MovementParyavaran Prerna "Vidarbha", Member of Alert Citizen Group, Nagpur Police, Member of Family Welfare Committee formed under the directions of Hon. Supreme Court
Twitter: @amitgheda).





'BASICS' : Always the SUPREME yardstick

Unless and until the ' BASICS ' are in the right place, all other things would eventually fall into the category of appeasement. App...