राजनीति-राजनेता...आदर्श, सिद्धांत, जिम्मेदारी, नैतिकता, दोस्ती, दुश्मनी, रंजिश, बैर, रिश्ते, नाते, संबंध, भरोसा, वादें, इरादे रहित है...उनका बसेरा वहीं जहां उनका हित है!!
ये "हित" रूपी आदर्श और सिद्धांत का सॉफ्टवेयर सभी राजनैतिक पक्ष और राजनेताओं के अंदर इनबिल्ट होता है मगर हम, जनता, ये जान कर भी, मानकर भी, समझकर भी, भुगतकर भी, अनुभव कर के भी इस "हितैषी" भूल भुलैया में भूले बिसरे, भ्रमित हो मारे मारे फिरते रहते है।
और हमारी इस दुर्दशा की जिम्मेदारी पर केवल और केवल हमारा अपना कॉपीराइट और विशेषाधिकार है!!