प्रशासनिक लापरवाही, धृत्रुराष्ट्र राजनेता, चापलूस/चाटुकार मीडिया, असंवेदनशील व्यवस्था, ओछी राजनीति, गुंगे - बहरे - अंधे, हम और आप!
(अपवादों के लिए आदर और नमन)
हम सभी की (जनता) ये आदत है की हम हमेशा जो समय चल रहा है, उसे आंख मुंद कर चलने ही देते है या उसके बहाव मे बहते जाते है। जबकी हकीकत ये है की हमारा सिर्फ उपयोग होता है...कहीं कम कहीं ज्यादा ये दूसरी बात है। जिम्मेदार भी हम ही है। समय समय पर किसी एक को इतना चढ़ा देते है की हमे ही नही पता होता की हम क्या कर रहें है। नतीजा, हम सालों से अनुभव कर ही रहे है।
किसी को भी उतना ही सर आँखों पे रखो जितना जरूरी हो और सही हो.. वरना फिर शिकायत करने का अधिकार हम खुद ही खो देते है।
अति संवेदनशील घटनाओं पर हमारी खामोशी भी हमारे उत्पीड़न का मुख्य कारण है। याद रखें, जिनके घर जले है वो स्वयं भी हमारे घर आंगन के ही है। आग फैलने देरी नहीं लगती। आने वाली लपटों से यदि बचना है, तो उसे बुझाने की कोशिश हमें ही करनी होगी।
" जागना होगा, जगाना होगा, चेताना होगा "
याद रखें "रावण को जलाने से पहले हम खुद ही उसे खडा करते है"।
शर्मसार करने वाले हादसों और दुर्घटनाओं से सदियों से पीड़ित जनता को समर्पित...
"दुखद-शर्मनाक हादसा"
दुखद हादसा
जनता का ग़ुस्सा
सोशल प्लेटफॉर्म-मीडिया में
सुर्खियों का दौर
आरोप प्रत्यारोप चहुं ओर
सभी ओर प्रोटेस्ट
हादसा लेटेस्ट
कैंडल का मार्च
इस्तीफा दो इंचार्ज
विपक्ष मे रोष
अधिकारी मे होश
उच्च लेवल समीति का गठन
सरकार का खेद-चिंतन-मंथन
मुवावजे का ऐलान
दोषियों को न बक्षने का फरमान
घायलों- परिजनों की वेदना
सरकार-पक्ष-विपक्ष की संवेदना...
कब तक??
जिम्मेदारी की मारी
जनता बेचारी
लुटती रहेगी
छलती रहेगी
पिसती रहेगी
लड़ती रहेगी
कब तक?
जनता का आक्रोश जैसे ही थमेंगा
मीडिया भी नए हादसों-
नए सुर्खियों में रमेगा
अधिकारी फिर होंगे मदहोश
विपक्ष खोजेगा नया दोष
सरकार खुद को ठेहराएंगी निर्दोष
फिर चुनाव का दौर
वादों, उम्मीदों से जनता भाव विभोर
नई सत्ता, नया पक्ष-विपक्ष
दिक्कतें वही जनता समक्ष
दुखद हादसा..
(ये कविता ब्लॉग के लेखक ने लिखी है। इस पर लेखक का पूर्णाधिकार है। बगैर लेखक के अनुमती के कहीं भी प्रकाशित ना करें।)
(The blog writer is a Management Professional and operates a Manpower & Property Consultancy Firm.
Besides, he is -